Rules & Regulation

महाविद्यालय में प्रशिक्षणार्थियों के व्यवहार सम्बन्धी नियम

एक शिक्षक को शिक्षा जगत में सक्रिय रहकर आजीवन अपने छात्र-छात्राओं का सर्वागीण विकास करना होता है। यह तभी सम्भव है जबकि शिक्षक का आचरण अनुकरणीय एवं अनुशासनबद्व हो। महाविद्यालय अपने प्रशिक्षणार्थियों से अपेक्षा करता है कि वे इस कसौटी पर खरे उतरें, अतः जीवन को अनुशासित, संयमित एवं अनुकरणीय बनाने की द्वष्टि से आचरण सम्बंधी निम्न निर्देशों का पालन करना अत्यन्त महत्वपूर्ण है। ये सब उनकी गरिमा बढाने में उपयोगी सिद्व होंगे-
शिक्षा स्नातक (बी एड) कार्यक्रम पूरे सत्र तक पूर्णकालिक है, अतः सत्रारंभ के प्रथम दिवस से ही प्रत्येक प्रशिक्षणार्थी का उपस्थित रहना अनिवार्य है। प्रशिक्षण काल में कहीं भी नियुक्ति लेकर सेवा करना पूर्णतः वर्जित है। यदि प्रशिक्षणार्थी प्रवेश से पूर्व ही कहीं सेवारत है। तो उसे सत्र के प्रथम दिन ही सेवा-मुक्ति प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा। इसके अभाव में महाविद्यालय से उसका नाम स्वतः निरस्त हो जाएगा।
कोटा विश्वविद्यालय के अतिरिक्त किसी अन्य विश्वविद्यालय से आये अन्तिम उपाधिधारकों को सम्बंन्धित विश्वविद्यालय से माइग्रेशन सर्टिफ़िकेट महाविद्यालय में जमा कराने का उत्तरदायित्व स्वयं प्रशिक्षणार्थी का होगा। अध्यापक प्रशिक्षण के इस कार्यक्रम में सभी प्रशिक्षणार्थियों का पारस्परिक व्यवहार बहुत महत्वपूर्ण है। सभी से शिष्टाचारपूर्ण व्यवहार की अपेक्षा की जाती है। पारस्परिक व्यवहार में स्नेह, आत्मीयता तथा सम्मान का भाव होना चाहिये। महाविद्यालय परिसर में एवं बाहर अध्यापकोचित गरिमा से युक्त शालीनतापूर्ण व्यवहार अपेक्षित है।
महाविद्यालय द्वारा समय –समय पर दिये जाने वाले निर्देशों की अनुपालना करना अनिवार्य है।
सभी प्रशिक्षणार्थियों को महाविद्यालय के दैनिक कार्यक्रम तथा आयोजित पाठ्य एवं पाठ्यसहमागी प्रव्रत्तियों में सक्रियतापूर्वक भाग लेना अनिवार्य है। प्रशिक्षणार्थियों को अपने व्यक्तित्व को अपने व्यवसाय के अनुकूल ढालने एवं प्रभावशाली बनाने की दष्टि से निर्धारित वेशभूषा का सदैव ध्यान रखना आवश्यक है।
महाविद्यालय परिसर में स्वच्छता एवं व्यवस्था बनाये रखने के सामूहिक उतरदायित्व का पालन करना सबके लिये आवश्यक है। महाविद्यालय सम्पत्ति की सुरक्षा एवं उसके समुचित उपयोग हेतु सभी को सचेष्ट रहना चाहिये। महाविद्यालय का कोई भी प्रशिक्षणार्थी महाविद्यालय में आयोजित होने वाले किसी भी कार्यक्रम में अपने किसी भी बाह्य मित्र को आमंत्रित नहीं कर सकता।
उपरोक्त नियमों का उल्लधंन करना अनुशासनहीनता मानी जायेगी और सम्बन्धित विधार्थी के विरुद्व अनुशासनात्मक कार्यवाही की जायेगी।

ATTENDANCE RULES

दिसम्बर 1995 के उच्च न्यायालय राजस्थान, जयपुर के आदेशानुसार तथा एन सी टी ई एवं विश्वविद्यालय के मानदण्डों के अनुसार व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में न्यूनतम उपस्थित 90 प्रतिशत है, अतः प्रशिक्षणार्थियों की सभी विषयों में न्यूनतम 90 प्रतिशत उपस्थिति होना अनिवार्य है। इसके अभाव में विश्वविद्यालय द्वारा सम्बन्धित प्रशिक्षणार्थी को परीक्षा से वंचित किया जा सकता है।
महाविद्यालय में निम्नांकित दिवसों पर सभी प्रशिक्षणार्थियों को उपस्थित रहना अनिवार्य है

  • 15 अगस्त (स्वतन्त्रता दिवस)
  • 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस)
  • 2 अक्टूबर (गांधी जयंती)

इसके अतिरिक्त महाविद्यालय में होने वाले सभी प्रकार के उत्सव-समारोह व अन्य सहगामी कार्यक्रमों में तथा अध्यापन अभ्यास के दौरान एवं प्रायोगिक कार्य दिवसों में प्रशिक्षणार्थी की उपस्थिति अनिवार्य है। किसी भी प्रशिक्षणार्थी के बिना पूर्व अवकाश स्वीकृति कराये अथवा बिना सूचना दिये लगातार 10 दिन अनुपस्थित रहने पर महाविद्यालय से उसका नाम निरस्त कर दिया जायेगा। प्राचार्य द्वारा अनुपस्थिति के कारण के बारें में संतुष्ट होने के बाद ही पुनः प्रवेश की अनुमति दी जायेगी। (ऐसी अनुमति एक बार से अधिक नही होगी।) सभी प्रशिक्षणार्थियों को महाविद्यालय की दैनिक प्रार्थना से लेकर अपने समस्त शिक्षण कालांशो में उपस्थित रहना अनिवार्य है।
सभी प्रशिक्षणार्थियों को महाविद्यालय की दैनिक प्रार्थना से लेकर अपने समस्त शिक्षण कालांशो में उपस्थित रहना अनिवार्य है।

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